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विरासत

विरासत : श्रेष्ठर बैंकिंग गाथा

राष्ट्री यता की भावना से ओत-प्रोत होकर और इस विचार को पूरा करने के लिए कि भारतीयों का एक अपना राष्ट्री य बैंक हो लाला लाजपत राय, ई सी जेस्साावाला, बाबू काली प्रसोनो रॉय, लाला हरकिशन लाल और सरदार दयाल सिंह मजीठिया जैसे दूरदर्शी देशभक्त व्यकक्तियों ने पंजाब नैशनल बैंक की स्थारपना की। बैंक को भारतीय कंपनी अधिनियम 1882 का अधिनियम VI के तहत स्थालपित किया गया और इसने 2 लाख रुपयों की कुल प्राधिकृत पूंजी और 20,000 रुपयों की कार्यशील पूंजी के साथ लाहौर से अपना व्यावसाय आरंभ किया। संयोगवश बैंक ने अपना तार का पता ‘स्टेोबिलिटी’ रखा और कालांतर में यह सिद्ध भी हुआ कि बैंक ने आगे चलकर विभिन्नं वित्ती य संकटों का डटकर सामना किया जिनमें भारत के विभाजन के रूप में आया वह दर्दनाक संकट भी शामिल है जब बैंक को पश्चिमी पाकिस्ता न में स्थित अपने 92 (यानि 33%) कार्यालय बंद करने पड़ गए थे जिनमें बैंक की 40% जमाराशियां मौजूद थी। इन दंगों में 15 बैंक कर्मचारियों को भी अपनी जान गवानी पड़ी। बैंक ने अपना पंजीकृत कार्यालय दिल्ली् स्थाननांतरित कर दिया और विस्था्पितों के जमाराशियों के सभी दावों का उनके द्वारा जो भी थोड़ा-बहुत सबूत दिया जा सका उसके आधार पर निपटारा किया। इसके बाद बैंक ने बेहतर प्रदर्शन किया और समय के साथ-साथ सुदृढ़ होता चला गया।

बैंक सदा अग्रणी बना रहा। बैंक ने 1895 में लेखा-परीक्षक नियुक्तख करके मिसाल कायम की क्योंमकि तब ऐसा करना कानूनन आवश्य क नहीं था; वर्ष 1944 में टैलर प्रणाली (दूसरी प्रथम) आरंभ की; लाभ में हिस्सेीदारी के तौर पर बोनस, भविष्यब निधि की शुरुआत की तथा स्वैणच्छिक बाह्य लेखा-परीक्षा आरंभ की जिन्हेंा आगे चलकर अच्छें प्रबन्धुन की प्रमुख वि‍शेषताएं माना गया।

वर्ष 1969 में राष्ट्री यकरण होने से बैंक इतिहास में एक नए युग का आरंभ हुआ। विभिन्नन स्व रोजगार योजनाओं के वित्तम-पोषण में विकास करने और गरीबी उन्मूेलन के कार्यों में तेजी लाने की अपनी आर्थिक नीति के अनुसार पंजाब नैशनल बैंक ने ऐसे क्षेत्रों में तेजी से अपनी शाखाएं खोलीं जिनमें बैंक सेवाएं उपलब्धस नहीं थीं। बैंक ने ऋण उपलब्धो करवाने के कार्य में महत्वीपूर्ण भूमिका निभाई और प्राथमिकता क्षेत्रों को राष्ट्री य लक्ष्योंक से अधिक के ऋण प्रदान किए। यह ध्याईन में रखकर कि बैंक की शाखाएं सारे देश में हैं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण मुहैया करवाने की प्रणाली को मजबूत करने के प्रयोजन से बैंक ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को प्रायोजित किया।

पंजाब नैशनल बैंक ने अपनी सशक्तर और विवेकपूर्ण बैंकिंग परम्पंरा के बूते पर स्वनयं को देश की अग्रणी बैंकिंग संस्थाप के रूप में भली-भांति स्था‍पित कर लिया है। बैंक ने अब तक के अपने कार्यकाल के दौरान समय-समय पर 7 प्राइवेट क्षेत्र के बैंकों के कारोबार को अधिग्रहीत किया। उनका बैंक में विलय हुआ और इससे भी उसके विकास में योगदान मिला। वर्ष 1993 में पंजाब नैशनल बैंक में पहली बार एक राष्ट्री यकृत बैंक यानी न्यू। बैंक ऑफ इंडिया का विलय हुआ।

1980 से आरंभ दशक के अंत की ओर जब पहली बार उदारीकरण की शुरुआत हुई तो बैंक ने विविधकरण हेतु योजनाबद्ध तरीके से कार्य करना आरंभ किया और 2002 में अत्यनधिक सफल रहे आईपीओ के जरिए सरकार के स्वाकमित्वक के 20% का पब्लिक हेतु विनिवेश कर दिया गया। वर्ष 2003 में केरल में अवस्थित भूतपूर्व प्राइवेट नेडुंगड़ी बैंक लि. का पंजाब नैशनल बैंक में विलय हुआ। यह 115 वर्ष से ज्यावदा के पीएनबी के इतिहास में सातवां विलय था। पीएनबी प्रबन्धषन दल विभिन्न विलय-प्रक्रियाओं और एकीकरणों को निर्बाध तथा कारगर ढंग से कार्यान्वित करने में काफी सफल रहा है। उल्ले्खनीय है कि राष्ट्री यकृत बैंक में से किसी भी बैंक में इतने विलय नहीं हुए। इससे बैंक की फ्रेंचाइज-वेल्युक बढ़ी है और इसमें विशेषकर केरल में वृद्धि हुई है जहां हमारी उपस्थिति अपेक्षाकृत कम थी। बेसल II मानकों के लागू होने से भावी पूंजीगत आवश्य कताओं को पूरा करने के लिए बैंक ने मार्च 2005 में बुक-बिल्डिंग के जरिए अपना फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) जारी किया जिससे बैंक में सरकार की शेयर होल्डिंग घटकर 57.8% रह गई।

पंजाब नैशनल बैंक के देश में 5400 से अधिक कार्यालय जिनमें विस्तािर पट्टल भी शामिल हैं और राष्ट्री यकृत बैंक में उसका भारतीय स्टेकट बेंक के बाद सबसे बड़ा शाखा तंत्र है। बैंक की सुदृढ़ फ्रेंचाइज वेल्युम है और यह रिटेल और कारपोरेट दोनों ही प्रकार के ग्राहकों को अनेक वित्तीरय उत्पा द और सेवाएं प्रदान करता है। यह निरंतर अपने सामाजिक उत्तररदायित्वों़ को पूरा करता रहा है और इसने प्रौद्योगिकी के इस्तेनमाल में भी काफी प्रगति की है ताकि यह एक टेक्नॉूलोजी से सुसज्जित बैंक बन सके।

वर्ष 2008-09 के दौरान बैंक ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की जब इसने अपनी समस्तऔ शाखाओं/विस्ता र पट्टलों को कोर बैंकिंग सोल्युसशन में परिवर्तित कर दिया और इस तरह यह ऐसा करने वाला सबसे बढ़ा राष्ट्री यकृत बैंक हो गया। प्रतियो‍गी वातावरण में मजबूत फ्रेंचाइजी और प्रौद्योगिकी पर आधारित क्षमताओं की वजह से भी बैंक को बढ़त प्राप्त है।

बैंक नवोत्साीह के साथ अपने सामाजिक और वातारण के प्रति उत्तमरदायित्वोंे को निरंतर पूरा करता है जिनमें मुफ्त चिकित्सास शिविरों का आयोजन, कृत्रिम अंग वितरण, पौध-रोपण, रक्तज–दान शिविरों का आयोजन, अस्प तालों और स्कूालों को दान देना आदि शामिल है। बैंक दलितों, समाज के कमजोर तबकों, अनाथों, वंचित लोगों, स्पैंस्टिकों, अपाहिजों, मंद बुद्धि बच्चोंम, शरण-स्थंलों में रह-रही महिलाओं आदि के हितों के लिए कार्यरत विभिन्नअ समितियों, धर्मार्थ संस्थााओं और एनजीओ/संगठनों की भी सहायता करता है। बैंक डायबिटीज, तपैदिक, ऐड्स, कुष्ठथ–रोग जैसी बीमारियों की रोक-थाम के लिए भी आर्थिक मदद करता है। अस्पवतालों/स्कूंलों के लिए पानी के कूलर, एम्बूिलेंस और भवन जैसी ढांचागत सुविधाओं की खरीद के लिए भी दान दिया जा रहा है।

पंजाब नैशनल बैंक की स्था पना से अब तक के सभी अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक

 
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